
अमेरिका ने H-1B वीज़ा की आवेदन फ़ीस $1,00,000 (88 लाख रुपये) कर दी — और भारत की राजनीति में जैसे टी-20 मैच का सुपर ओवर चल पड़ा हो।
कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला।
राहुल गांधी बोले – “PM कमज़ोर हैं”, मोदी सरकार ‘मौन’ में व्यस्त!
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने X (पूर्व ट्विटर) पर दो टूक कहा:
“मैं दोहराता हूं, भारत के प्रधानमंत्री कमज़ोर हैं।”
यानि अमेरिका में भारतीयों के भविष्य पर जो ताला लगा, उसकी चाबी मोदी के खामोश हाथों में बताई जा रही है।
गोगोई का ज्ञानवर्धक ताना: ‘दिखावा छोड़िए, एक्शन लीजिए!’
कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने मोदी जी की “रणनीतिक चुप्पी” पर गहरा कटाक्ष किया:
“प्रधानमंत्री की चुप्पी भारत के होनहार युवाओं के लिए बोझ बन गई है।”
उन्होंने याद दिलाया कि जब IFS अफ़सर देवयानी खोबरागड़े के साथ अमेरिका में दुर्व्यवहार हुआ था, तब मनमोहन सिंह सरकार ने “बॉस मूव” किया था।
पलटवार: “अमेरिका खुद भुगतेगा!”
बीजेपी नेता बूरा नरसैया गौड़ ने कांग्रेस की आलोचना पर चुटकी लेते हुए कहा:
“यह कदम अमेरिका की अर्थव्यवस्था को भारत से ज़्यादा नुकसान पहुंचाएगा।”
यानि स्क्रिप्ट सीधी है- “88 लाख रुपये की फ़ीस से अगर कोई जल रहा है, तो वह अमेरिका है!”
H-1B वीज़ा – टेक्नोलॉजी के हनुमान पर आयी रोक!
H-1B वीज़ा वो जादुई रास्ता है जिससे भारतीय इंजीनियर, डेवलपर और कोडर अमेरिकी कंपनियों में Tech Avengers की तरह शामिल होते हैं।
लेकिन अब $1,00,000 की फीस सुनकर इन हनुमानों की उड़ान थोड़ी रुक गई है। अब सवाल ये है कि:
क्या ये फैसला भारतीय टैलेंट पर सीधा हमला है? या फिर अमेरिका के लिए ‘America First, Logic Later’ पॉलिसी का हिस्सा?
मोदी सरकार की विदेश नीति – Selfie या Strategy?
कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार की विदेश नीति सिर्फ़ फोटोशूट, झप्पी और नारे तक सीमित है। राहुल गांधी का कहना है कि जब भी भारत के नागरिकों के हितों पर चोट होती है, तब PM सिर्फ़ “मौन मोड” में चले जाते हैं।
H-1B की लड़ाई – पॉलिसी में ड्रामा या ड्रामे में पॉलिसी?
अमेरिका की इस नई नीति ने भारतीय राजनीति को फिर गरमा दिया है। जहाँ एक ओर कांग्रेस कमज़ोर नेतृत्व का रोना रो रही है, वहीं बीजेपी ‘अमेरिका को भुगतना पड़ेगा’ वाला मूड दिखा रही है। लेकिन असली सवाल है, क्या हमारे इंजीनियर अब सिलिकॉन वैली की जगह Noida Sector 62 में ही रहेंगे? या फिर सरकार कोई साहसिक कदम उठाएगी?
और जब अगली बार कोई इंजीनियर बोले – “H-1B अप्लाय कर रहा हूं”, तो पूछना मत भूलिए – “भाई, लोन कहाँ से लिया इतने की?”
“राइवलरी? नहीं भाई, बस ‘मनोरंजन का समय’ है!” – स्टाइल में IND vs PAK!